
जन्माष्टमी 2025 कब है? जानिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की तिथि, पूजा मुहूर्त, व्रत विधि, महत्व और व्रत कथा। साथ ही पढ़ें मथुरा-वृंदावन की विशेष झांकियों और उत्सव की जानकारी।
जन्माष्टमी 2025 कब है?
जन्माष्टमी हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार है, जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। 2025 में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी बुधवार, 13 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी।
-
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 13 अगस्त 2025, बुधवार, प्रातः 04:15 बजे
-
अष्टमी तिथि समाप्त: 14 अगस्त 2025, गुरुवार, सुबह 02:50 बजे
-
निशिता काल पूजा मुहूर्त: रात 11:59 बजे से 12:44 बजे तक (13 अगस्त)
जन्माष्टमी का महत्व
जन्माष्टमी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं बल्कि भक्ति, प्रेम और आस्था का उत्सव है। मान्यता है कि द्वापर युग में मथुरा नगरी में भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया। उन्होंने अत्याचारियों का नाश किया और धर्म की स्थापना की।
श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था, और इसी कारण इस दिन विशेष पूजा और व्रत का आयोजन किया जाता है।
जन्माष्टमी व्रत और पूजा विधि
-
सुबह स्नान और संकल्प
व्रत रखने वाले भक्त प्रातः स्नान करके ‘मैं आज श्रीकृष्ण व्रत रखूंगा’ का संकल्प लेते हैं। -
पूजा स्थल सजाना
घर या मंदिर में एक साफ स्थान पर सुंदर पालना सजाया जाता है और उसमें बाल गोपाल की मूर्ति रखी जाती है। -
पूजन सामग्री तैयार करना
तुलसी पत्ते, पंचामृत, माखन-मिश्री, धूप, दीप, फूल, और श्रीकृष्ण के प्रिय भोग तैयार किए जाते हैं। -
अर्धरात्रि पूजा
निशिता काल (मध्यरात्रि) में भगवान श्रीकृष्ण की जन्म आरती होती है। तब भक्त घंटी और शंख बजाकर ‘नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की’ गाते हैं। -
भोग और प्रसाद
भगवान को माखन, मिश्री, पंजीरी और पंचामृत का भोग लगाकर प्रसाद वितरित किया जाता है।
जन्माष्टमी व्रत कथा
प्राचीन कथाओं के अनुसार, मथुरा के राजा कंस की बहन देवकी का विवाह वसुदेव से हुआ था। विवाह के समय आकाशवाणी हुई कि देवकी का आठवां पुत्र कंस का वध करेगा। भयभीत कंस ने देवकी और वसुदेव को कारागार में डाल दिया और उनके छह पुत्रों की हत्या कर दी।
जब आठवां पुत्र हुआ, तो भगवान विष्णु ने वसुदेव को आदेश दिया कि वे बालक को गोकुल में नंद बाबा के घर छोड़ आएं। वसुदेव ने यमुना पार करके नवजात श्रीकृष्ण को नंद के घर पहुंचाया, जहां उनका पालन-पोषण यशोदा माता ने किया।

जन्माष्टमी 2025 के विशेष आयोजन
-
मथुरा-वृंदावन उत्सव – मथुरा, वृंदावन और गोवर्धन में विशाल झांकियां, रास-लीला और भजन संध्या का आयोजन होगा।
-
दही-हांडी उत्सव – महाराष्ट्र और गुजरात में ऊंची मटकी फोड़ प्रतियोगिताएं होंगी।
-
भजन-कीर्तन – मंदिरों में पूरी रात भजन-कीर्तन और हरे कृष्ण महा मंत्र का जाप किया जाएगा।
जन्माष्टमी व्रत के लाभ
-
मन की शांति और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति
-
परिवार में सुख-समृद्धि
-
पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति
-
श्रीकृष्ण की विशेष कृपा
जन्माष्टमी पर क्या करें और क्या न करें
करें:
-
व्रत और भजन-कीर्तन करें
-
घर को साफ-सुथरा रखें
-
गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराएं
न करें:
-
मांस, मदिरा और तामसिक भोजन का सेवन न करें
-
झूठ, क्रोध और अपशब्दों से बचें
इन्हें भी पढ़ें
आज का पंचांग 2025: तिथि, वार, शुभ मुहूर्त और राहुकाल की संपूर्ण जानकारी