“जन्माष्टमी 2025: श्रीकृष्ण जन्म की पावन कथा, व्रत विधि, तिथि और पूजा मुहूर्त”

By Harikesh Maurya

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जन्माष्टमी 2025

जन्माष्टमी 2025
जन्माष्टमी 2025

जन्माष्टमी 2025 की तारीख, महत्व, व्रत विधि, पूजा मुहूर्त और श्रीकृष्ण जन्म की कथा जानें। इस लेख में पढ़ें जन्माष्टमी के पर्व की संपूर्ण जानकारी।

जन्माष्टमी 2025 कब है?

जन्माष्टमी, जिसे श्रीकृष्ण जन्माष्टमी या गोकुलाष्टमी भी कहा जाता है, भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है।
वर्ष 2025 में जन्माष्टमी 15 अगस्त, शुक्रवार को मनाई जाएगी। इस दिन आधी रात को श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, इसलिए इस पर्व पर रात्रि जागरण और भजन-कीर्तन का विशेष महत्व है।

जन्माष्टमी का महत्व

जन्माष्टमी का हिंदू धर्म में विशेष स्थान है क्योंकि यह भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का प्रतीक है। श्रीकृष्ण को धर्म की स्थापना, अधर्म के विनाश और भक्तों की रक्षा के लिए जाना जाता है।
श्रीकृष्ण की लीलाएं, गीता उपदेश और माखन चोरी की कहानियां आज भी भक्तों के हृदय में अमिट हैं।

धार्मिक मान्यता के अनुसार

  • इस दिन व्रत रखने से पाप नष्ट होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।

  • श्रीकृष्ण का स्मरण करने से जीवन में खुशहाली आती है।

  • दान-पुण्य से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

जन्माष्टमी 2025 के व्रत और पूजा विधि

जन्माष्टमी के दिन भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं और रात में श्रीकृष्ण जन्म का उत्सव मनाते हैं। पूजा विधि इस प्रकार है –

  1. स्नान एवं संकल्प – सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लें और भगवान कृष्ण का स्मरण करें।

  2. घर की सजावट – मंदिर और घर को फूलों, दीपकों और रंगोली से सजाएं।

  3. माखन-मिश्री का भोग – श्रीकृष्ण को माखन, मिश्री, फल और दूध का भोग लगाएं।

  4. श्रीकृष्ण की प्रतिमा सजाना – बाल गोपाल की मूर्ति को नए वस्त्र, आभूषण और मोर मुकुट पहनाएं।

  5. मंत्र जाप – “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।

  6. मध्यरात्रि जन्म उत्सव – ठीक 12 बजे श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाएं, शंख-घंटियों के साथ आरती करें।

जन्माष्टमी 2025
जन्माष्टमी 2025

जन्माष्टमी 2025 का पूजा मुहूर्त

  • अष्टमी तिथि प्रारंभ – 15 अगस्त 2025, सुबह 08:54 बजे

  • अष्टमी तिथि समाप्त – 16 अगस्त 2025, सुबह 09:27 बजे

  • निशीथ पूजा समय – रात 11:55 बजे से 12:40 बजे तक
    (मुहूर्त स्थानानुसार भिन्न हो सकते हैं)

श्रीकृष्ण जन्म की कथा

भागवत पुराण के अनुसार, मथुरा के राजा कंस की बहन देवकी का विवाह वासुदेव से हुआ। विवाह के समय एक आकाशवाणी हुई कि देवकी का आठवां पुत्र कंस का विनाश करेगा।
कंस ने भय से देवकी और वासुदेव को कारागार में कैद कर लिया और उनके सभी बच्चों को मार डाला।
जब आठवां पुत्र, श्रीकृष्ण, का जन्म हुआ, तो चमत्कारिक रूप से कारागार के दरवाजे खुल गए और पहरेदार सो गए। वासुदेव ने श्रीकृष्ण को गोकुल में यशोदा और नंद बाबा के पास पहुँचा दिया और बदले में उनकी पुत्री को लेकर आए।
जब कंस ने उस कन्या को मारने की कोशिश की, तो वह देवी के रूप में प्रकट हुईं और कंस को चेतावनी दी कि उसका विनाश हो चुका है।

जन्माष्टमी पर विशेष आयोजन

  • दही-हांडी – महाराष्ट्र और गुजरात में जन्माष्टमी पर दही-हांडी की प्रतियोगिताएं होती हैं, जिसमें मटकी फोड़ने का कार्यक्रम बेहद लोकप्रिय है।

  • रासलीला – मथुरा और वृंदावन में श्रीकृष्ण की रासलीला और बाल लीलाओं का मंचन किया जाता है।

  • भजन-कीर्तन – मंदिरों में पूरे दिन भजन और संकीर्तन होते हैं।

जन्माष्टमी पर व्रत के लाभ

  1. मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति।

  2. घर में सुख-समृद्धि का आगमन।

  3. नकारात्मक ऊर्जा का नाश।

  4. जीवन में सकारात्मक सोच का विकास।

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Harikesh Maurya

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