
लैंड पूलिंग पॉलिसी 2025 अपडेट – जानिए क्या है लैंड पूलिंग पॉलिसी, इसमें हुए नए बदलाव, किसानों को होने वाले फायदे, और रियल एस्टेट सेक्टर पर इसका असर।
लैंड पूलिंग पॉलिसी क्या है?
लैंड पूलिंग पॉलिसी एक सरकारी योजना है जिसके तहत किसानों या ज़मीन मालिकों से उनकी कृषि भूमि को एक साथ मिलाकर विकसित किया जाता है और फिर तैयार प्लॉट के रूप में वापस दिया जाता है। इस योजना का उद्देश्य शहरी क्षेत्रों का विस्तार करना, बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर देना और रियल एस्टेट सेक्टर को बढ़ावा देना है।
इसमें सरकार या विकास प्राधिकरण (जैसे DDA) किसानों की ज़मीन को अधिग्रहण नहीं करता, बल्कि ‘Pooling’ यानी भूमि को एकत्रित करके उसे रोड, पार्क, स्कूल, अस्पताल और अन्य सुविधाओं के साथ विकसित करता है। विकास के बाद, मालिकों को उनकी मूल भूमि का एक हिस्सा (छोटा आकार लेकिन अधिक कीमत वाली) वापस मिल जाता है।
लैंड पूलिंग पॉलिसी 2025 अपडेट
2025 में सरकार ने लैंड पूलिंग पॉलिसी में कई बड़े बदलाव किए हैं ताकि किसानों की भागीदारी बढ़े और शहरी विकास तेजी से हो सके।
मुख्य अपडेट:
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किसानों की सहमति का प्रतिशत घटा
पहले योजना में 70% भूमि मालिकों की सहमति जरूरी थी, लेकिन अब इसे घटाकर 60% कर दिया गया है, जिससे प्रोजेक्ट तेजी से शुरू हो सकें। -
मुआवज़े और हिस्सेदारी में बढ़ोतरी
किसानों को विकसित प्लॉट में पहले 40% हिस्सेदारी दी जाती थी, अब इसे बढ़ाकर 50% कर दिया गया है। -
इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट की समयसीमा घटाई गई
पहले 7 साल का समय दिया जाता था, लेकिन अब 4 साल में विकास कार्य पूरे करने का लक्ष्य रखा गया है। -
डिजिटल प्रोसेसिंग सिस्टम
पॉलिसी के तहत आवेदन और सहमति की प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन कर दी गई है, जिससे पारदर्शिता और गति बढ़ी है। -
ग्रीन और सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर जोर
नए अपडेट में 20% भूमि हरित क्षेत्र (ग्रीन जोन) और पर्यावरण संरक्षण के लिए रखी जाएगी।
लैंड पूलिंग पॉलिसी के फायदे
किसानों के लिए:
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जमीन की कीमत में वृद्धि – विकसित प्लॉट मिलने से मार्केट वैल्यू कई गुना बढ़ जाती है।
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स्थायी आय का स्रोत – प्लॉट को बेचने या किराये पर देने से लंबे समय तक आय होती है।
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अधिग्रहण का डर नहीं – सरकार भूमि अधिग्रहण नहीं करती, बल्कि वही भूमि वापस मिलती है।
शहरी विकास के लिए:
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बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर – सड़कों, पार्कों, स्कूलों और अस्पतालों का निर्माण।
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हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में तेजी – रियल एस्टेट कंपनियों को प्लॉट आसानी से उपलब्ध होते हैं।
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संतुलित विकास – शहर के विस्तार में प्लानिंग के साथ विकास होता है।

लैंड पूलिंग पॉलिसी बनाम लैंड एक्विजिशन
| पहलू | लैंड पूलिंग पॉलिसी | लैंड एक्विजिशन |
|---|---|---|
| ज़मीन का मालिकाना हक | वापस किसान को | सरकार के पास |
| मुआवज़ा | विकसित प्लॉट | नकद राशि |
| विकास में किसान की भागीदारी | हां | नहीं |
| लाभ | लंबी अवधि का | एकमुश्त राशि |
लैंड पूलिंग पॉलिसी 2025 का रियल एस्टेट सेक्टर पर असर
नई पॉलिसी के बाद रियल एस्टेट डेवलपर्स को कम समय में बड़ी और विकसित भूमि मिलेगी, जिससे हाउसिंग प्रोजेक्ट्स तेजी से शुरू होंगे। दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, जयपुर, अहमदाबाद जैसे शहरों में इसका सबसे ज्यादा असर देखने को मिलेगा।
साथ ही, निवेशकों के लिए भी यह एक सुनहरा अवसर है क्योंकि शहरी विकास क्षेत्रों में भूमि की कीमत समय के साथ तेज़ी से बढ़ेगी।
सरकार के अनुसार लक्ष्य
सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक देश के प्रमुख शहरों में 25 लाख से ज्यादा नए घर बनाकर हाउसिंग की कमी को दूर किया जाए। लैंड पूलिंग पॉलिसी इसके लिए एक अहम कदम है।
आधिकारिक वेबसाइट https://www.gmada.gov.in/
निष्कर्ष
लैंड पूलिंग पॉलिसी 2025 का अपडेट किसानों और शहर दोनों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। इसमें किसानों को उनकी ज़मीन का बेहतर मूल्य मिलेगा, जबकि शहरों को प्लानिंग के साथ विस्तार का मौका मिलेगा।
अगर सही तरीके से लागू किया गया तो यह पॉलिसी भारत में रियल एस्टेट और शहरी विकास के इतिहास को बदल सकती है।
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